मैदान का अर्थ | मैदान के प्रकार | भारत एवं विश्व के प्रमुख मैदान

मैदान का अर्थ

मैदान भूपटल (Crust) के ऊपरी भाग की सर्वाधिक स्पष्ट एवं सरल स्थलाकृति (Topography) है और अपेक्षाकृत मैदान समतल सतह वाला एवं निम्न ऊंचाई के होते हैं। ऊंचाई की दृष्टि से सागर तल से 150 मीटर तक ऊंचे होते है। समतल एवं विस्तृत स्थलखंड को मैदान कहते हैं। यह सागरतल के समकक्ष (Equivalent), अधिक ऊंचे एवं नीचे हो सकते हैं। मैदान द्वितीय एवं तृतीय दोनों ही श्रेणी के उच्चावय लक्षण है। अपरदन से निर्मित मैदान तृतीय श्रेणी में आते हैं।

मैदान के प्रकार

(1) पटल विरूपणी मैदान/Deastrophic plain

भूपटल का उत्थान (Uplift) तथा अवतलन (Subsidence) या सागर तट पर स्थलखंड का निमज्जन (Submergence) या उन्मज्जन (immersion) होने से मैदान का निर्माण होता है।

  • USA का ग्रेट प्लेन (उन्मज्जन)
  • भारत का कोरोमण्डल, उत्तरी सरकार (अवतलन)

USA का ग्रेट प्लेन सागर तल से नीचे था, क्रिटेशस युग में सागरीय तलछट के निक्षेपों के बाद प्लिस्टोसीन युग में उत्थान (Uplift) से मैदान की उत्पत्ति हुई।

(2) अपरदनात्मक मैदान/Erossional plain

  1. नदी अपरदित मैदान (River eroded plain) पेनिप्लेन के रूप में, जो नदियों का आधार तल होता है। कहीं-कहीं चट्टानी टीले ‘मोनाडनाक’ पाए जाते हैं। नामकरण USA के मोनाडाइक पर्वत के आधार पर किया गया है।
  2. हिम अपरदित मैदान (Snow eroded plain) : इसमें समप्राय मैदान की रचना नहीं होती है, क्योंकि हिमानी का अपरदन सामान्य आधारतल द्वारा नियंत्रित नहीं होता है, इसमें चौड़ी घाटियां और गोलाकार चोटियां पाई जाती हैं। कनाडा के उत्तरी भाग, उत्तर पश्चिमी यूरेशिया में मिलते हैं।
  3. पवन अपरदित मैदान (Wind eroded Plain) : घिसे हुए टीले युक्त विषम मैदान की रचना होती है। रेग, सेरिर, हमादा इसी प्रकार के मैदान है। मरुस्थल में, पर्वतीय ढालों पर जल द्वारा अपरदन की क्रिया से ढालू मैदान भी बनते हैं, जिन्हें पेडिमेंट (Pediment) कहते हैं। अंतिम अवस्था में पेडिप्लेन (Pediplain) बनता है।
  4. कार्स्ट मैदान (Carst Plain) : भूमिगत जल की अपरदन क्रिया के फलस्वरुप निर्मित मैदान है
  • युगोस्लाविया का कार्स्ट प्रदेश
  • फ्रांस का कासे
  • उत्तरी अमेरिका का फ्लोरिडा और यूकाटन
  • भारत का नैनीताल, अल्मोड़ा, देहरादून

(3) निक्षेपात्मक मैदान/Depositional plains

विश्व के विशालतम मैदान निक्षेपात्मक मैदान हैं।

  1. नदी द्वारा निक्षेपित जलोढ़ मैदान (Alluvial plains) : पर्वत पादीय (Mountain foot) जलोढ़ मैदान, भांवर, तराई, बांगर तथा खादर आदि इसी प्रकार के मैदान है। भारत में सतलज, गंगा, ब्रह्मपुत्र, मिस्र में नील, चीन में यांग्टीसीक्यांग, USA में मिसीसिपी का मैदान इसी प्रकार का मैदान हैं।  प्राय सभी नदियां जलोढ़ मैदान बनाते हैं।
  2. हिमानी जलोढ़ मैदान (Glacial Fluvial plains) : टिल मैदान – हिमानी द्वारा लाए गए टिल (छोटे कण) से निर्मित लहरदार मैदान है।
  3. जलोढ़ मैदान (Alluvial plains) बारीक कणों वाले मलबे या हिमोढ़ से निर्मित असमान धरातल वाला मैदान।
  4. हिमनद अवक्षेप मैदान (Glacial precipitate plains) हिमानी के पिघल जाने पर शेष अवशेषों से निर्मित समतल धरातल वाले मैदान (Out wash plain) हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य

  1. एक विस्तृत समतल भू-क्षेत्र जिसकी ऊँचाई सामान्यतः कम होती है। लगभग  सागर तल से 150 मीटर तक ऊँचे तथा समतल विस्तीर्ण भूखंड मैदान कहलाते हैं। मैदानों का निर्माण भूमि के अपरदन तथा अवसादों के निक्षेपण दोनों प्रकार से होता है। (विश्व के सांस्कृतिक प्रदेश)
  2. सामानयतया हम मैदानों की बात करते है तो ये तीन प्रकार के होते है – संरचनात्मक, अपरदनात्मक, निक्षेपात्मक मैदान।
  3. पर्वत और पठारों के लम्बे समय तक अपरदन से बने मैदान, अपरदन जनित मैदान या समप्राय भूमि कहलाती है। नदी, हिमानी, पवन, आदि तल संतुलन के कारकों द्वारा ढोये पदार्थों के जमाव से बने मैदानों को निक्षेपण द्वारा बने मैदान कहते हैं। (सीमा एवं सीमांत रेखा)
  4. भारत में देश का लगभग 43% भाग मैदानों से घिरा हुआ है।
  5. अगर हम मैदानों के प्रकार की बात करते है तो भौगोलिक आधार पर मैदानी प्रदेश को चार भागों – भाबर प्रदेश, तराई प्रदेश, बांगर प्रदेश एवं खादर प्रदेश के रूप में बाँटा गया है।
  6. विश्व के सबसे विशाल लोयस का नाम लोएस पठार (Loess Plateau) या हुआंगतु पठार चीन की पीली नदी के ऊपरी और मध्य भागों में 6,40,000 किमी पर विस्तृत एक पठार है।
  7. सबसे ज्यादा उपजाऊ मैदान के अंतर्गत जलोढ़ मिटटी के खादर मैदान को सबसे ज्यादा उपजाऊ बताया गया है क्योकि यहाँ आये दिन बाढ़ का पानी आ जाता है
  8. तराई क्षेत्र भारत, नेपाल एवं भूटान में स्थित हिमालय के आधार के दक्षिण में स्थित क्षेत्रों को कहते हैं। यह क्षेत्र पश्चिम में यमुना नदी से लेकर पूरब में ब्रह्मपुत्र नदी तक फैला हुआ है। इस क्षेत्र की नदियों में मानसून के समय प्राय: बाढ़ आ जाती है।

घास के मैदान

इनको 2 वर्गों में बांटते हैं। (स्थानीय पवन)

  • उष्णकटिबंधीय घास भूमि : इनको अलग-अलग देशों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है जैसे – 
  1. सवाना घास के मैदान (अफ्रीका)
  2. कम्पोज घास के मैदान (ब्राजील)
  3. लानोस घास के मैदान (वेनेजुएला और कोलंबिया)
  • शीतोष्ण कटिबंधीय घास भूमि : इनको भी अलग-अलग देशों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है, जैसे – 
  1. प्रेयरी घास (USA व कनाडा)
  2. पम्पास का मैदान (अर्जेंटीना)
  3. वेल्ड का मैदान (दक्षिण अफ्रीका)
  4. डाउन्स (आस्ट्रेलिया)
  5. स्टेपी (एशिया, रूस व चीन में)

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